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83 साल के बुजुर्ग सर्जन लोगों की करते हैं निःशुल्क प्लास्टिक सर्जरी, इनके सेवाभाव को देख सरकार ने किया पद्मश्री सम्मान से सम्मानित

83 साल के बुजुर्ग सर्जन लोगों की करते हैं निःशुल्क प्लास्टिक सर्जरी, इनके सेवाभाव को देख सरकार ने किया पद्मश्री सम्मान से सम्मानित

 सफलता उन्हें ही मिलती है जो इसके सच्चे हकदार होते हैं। मंजिल वहीं पाते हैं जो रास्तों को तय करते हैं। इस दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो हार मान जाते हैं। कभी वक्त के साथ तो कभी उम्र के साथ लेकिन यहां एक ऐसे भी शख्स हैं जिसने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी और आज 83 वर्ष की उम्र में भी लोगों की निःशुल्क सेवा करके दिल जीत रहे है। वो शख्स और कोई नहीं हाल ही में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित हुए डॉ. योगी ऐरन हैं। डॉ. योगी न सिर्फ सफल प्लास्टिक सर्जन हैं, बल्कि 83 साल की उम्र में भी उनके हाथों की सर्जरी में लोगों को जादू नजर आता है। वो अब तक 5000 से भी अधिक लोगों की प्लास्टिक सर्जरी कर चुके हैं और यह सब कुछ उन्होंने निःशुल्क किया है। वो लोगों के लिए किसी भगवान से कम नहीं है। आइए जानते हैं महानता की मिसाल डॉ योगी ऐरन की सफलता और संघर्ष की कहानी।




5 बार मेडिकल परीक्षा में फेल होने पर भी नहीं मानी हार

1937 में उत्तर प्रदेश के मेरठ में जन्में डॉ. योगी ऐरन मेडिकल प्रवेश परीक्षा में पांच बार फेल हुए थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और छठी बार में सफलता प्राप्त की। उन्होंने 1967 में केजीएमसी से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की। पटना के प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल से 1971 में उन्होंने पीजी किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद 1973 में डॉ. योगी को दून अस्पताल में नौकरी मिली, लेकिन उस दौरान प्लास्टिक सर्जरी के प्रचलित नहीं होने से उन्हें खास काम नहीं मिला। 70 के दशक में तब प्लास्टिक सर्जरी के बारे में लोगों में जागरूकता नहीं थी। ऐसे में वह शुरुआती सालों में सिर्फ पोस्टमार्टम ड्यूटी करते रहे। डॉ. योगी ऐरन ने बताते हैं कि 1973 में जब वे दून अस्पताल में नौकरी कर रहे थे तो पहाड़ से भालू के खाए हुए और जले हुए कई मरीज उनके पास पहुंचते थे। वे बहुत ही सीधे और सरल होते थे। कई लोगों के पास पैसे तक नहीं होते थे। उन्हें लगा कि इस तरह के लोगों की मदद होनी चाहिए।


लोगों की मदद करने के लिए सीखी प्लास्टिक सर्जरी

लोगों की मदद करने उद्देश्य से योगी ऐरन दून में कुछ समय रहने के बाद वह अमेरिका चले गए। वहां उन्होंनें डॉ. मिलार्ड से प्लास्टिक सर्जरी की बारीकियां सीखीं। डॉ. योगी 1984 में दून वापस आ गए और वापस आने के बाद मालसी में अपनी पैतृक संपत्ति में अस्पताल बनाया, लेकिन जंगल से घिरे क्षेत्र में कम मरीज आते थे। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने आईटी रोड पर दस बेड का एक अस्पताल बनाया। जहां वह गरीबों के जले और कटे मानव अंगों की फ्री में प्लास्टिक सर्जरी करते हैं। डॉ. योगी किसी न किसी दुर्घटना के चलते त्वचा में चोट या विकृति का ईलाज आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए फ्री में करते हैं। डॉ योगी अब 83 साल के हो गए हैं। लेकिन फिर भी वो अपने काम में पूरी शिद्दत से जुटें हुए हैं। बुजुर्ग प्लास्टिक सर्जन डॉ. योगी ऐरन अब तक 5000 से अधिक प्लास्टिक सर्जरी निःशुल्क रुप से कर चुके हैं।


सेवाभाव को देखते हुए सरकार ने किया सम्मानित


डॉ. योगी ऐरन के सेवाभाव को देखते हुए वर्ष 2020 के पद्म पुरस्कारों की सूची में उन्हें शामिल किया गया था। उन्हें गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। उनके सम्मान से उत्तराखंड का भी मान बढ़ा है। अपनी सफलता पर डॉ. योगी का कहना है कि लोगों ने उन पर विश्वास किया, इसी कारण उन्हें सफलता मिली है। 83 साल के डॉ. ऐरन तीन साल से प्लास्टिक सर्जरी के जटिल ऑपरेशन पर ब्लू प्रिंट बुक तैयार कर रहे हैं। इस बुक में उनकी सर्जरी वाले मरीजों की एक लाख तस्वीरें भी होंगी। डॉ. ऐरन दून के आईटी पार्क रोड के पास हेल्पिंग हैंड नाम की संस्था भी चलाते हैं। वो पूरी तरह स मानव सेवा में लगे हुए हैं। 


समाज सेवा को माना परम धर्म


डॉ. योगी चाहते तो अपने हाथ के हुनर से मोटी कमाई कर सकते थे लेकिन उन्होंने पैसों से ऊपर सेवाभाव को चुना। उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर रखा है। डॉ. योगी ऐरन ने अपनी काबिलित और सेवाभाव से अपनी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है। उनका पूरा जीवन लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। किसी और के लिए निःशुल्क कार्य कैसे किया जाता है इस बात की प्रेरणा (Motivation) डॉ. योगी बखूबी देते हैं। 

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