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इंदिरा हों या मोदी सबका जीता दिल, भारत के इस जेम्‍स बॉन्‍ड से पाकिस्तान भी जाता है हिल

इंदिरा हों या मोदी सबका जीता दिल, भारत के इस जेम्‍स बॉन्‍ड से पाकिस्तान भी जाता है हिल

 इंदिरा हों या मोदी सबका जीता दिल,  भारत के इस जेम्‍स बॉन्‍ड से पाकिस्तान भी जाता है हिल


इस दुनिया में बहुत कम लोग ऐसे जन्म लेते हैं जो अपना पूरा जीवन हंसते-हंसते अपने देश के नाम कर देते हैं। आपने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले कई वीरों के बारे में अब तक पढ़ा होगा लेकिन क्या आप जानतें हैं भारत में एक ऐसा शख्स भी है जिसने पाकिस्तान में ना केवल 7 सालों तक भेष बदलकर रहने का काम किया बल्कि ISIS जैसे आतंकवादी संगठनों के नाकों तले चने चबवा दिए। वो शख्स और कोई नहीं अजीत डोभाल है। 70 साल की उम्र पार चुके अजीत डोभाल आज भी दुश्मन पर पीठ पीछे वार नहीं करते। बल्कि सामने से वार करते हैं। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण हाल ही में हुई सर्जिकल स्ट्राइक है।


जब भी पाकिस्तान के सामने अजीत डोभाल का नाम आता है तो वो डर के मारे थरथर कांपने लगता है। अजीत डोभाल ने देश की सुरक्षा के कई ऐसे कारनामें हैं जिसे लोग आज भी याद करते हैं, चाहे वो ऑपरेशन ब्लू स्टार रहा हो या पाकिस्तान में खुफिया तरीके से रहना हो हर जगह डोभाल ने खुद को साबित किया है और देश की सुरक्षा चाक चौबंद की है। देश के इस वीर सपुत के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें आइए जानते हैं।


एक आईपीएस ऑफिसर से ऐसे बनें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार


उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी, 1945 को जन्में अजीत डोभाल के पिता इंडियन आर्मी में थे। अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया है। 1968 केरल बैच के IPS अफसर अजीत डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद साल 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए थे। अजीत डोभाल ने करियर में ज्यादातर समय खुफिया विभाग में ही काम किया है। साल 2005 में एक तेज तर्रार खुफिया अफसर के रूप में स्थापित अजीत डोभाल इंटेलीजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर पद से रिटायर हो गए।  इसके बाद साल 2009 में अजीत डोभाल विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसिडेंट बने। इस दौरान न्यूज पेपर में लेख भी लिखते रहे। अजीत डोभाल 33 साल तक नार्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस रहे हैं, जहां उन्होंने कई अहम ऑपरेशन किए हैं। 30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।


 

अजीत डोभाल का नाम सुनकर कांप जाता है पाकिस्तान 


अजीत डोभाल का नाम सुनते ही दुश्मनों के पांव थरथराने लगते हैं। राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पाकिस्तान में 7 साल रहे हैं। डोभाल पाकिस्तान में जासूसी करते थे और अहम जानकारियां भारत को मुहैया कराते थे। पाकिस्तान के आतंकवाद की रग रग जानते हैं। इसलिए तो पीओके में कमांडों घुसकर मारकर लौट आए और पाकिस्तान कुछ कर नहीं पाया। ऑपरेशन पीओके में अजीत डोभाल ने यही साबित किया है। जून में भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में दो किलोमीटर अंदर घुसकर उग्रवादियों के कैंप और करीब 100 उग्रवादियों को नेस्तनाबूत किया था। 4 जून 2015 को मणिपुर के चंदेल में 18 जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए ऑपरेशन म्यांमार हुआ था।


देश के प्रधानंमंत्रियों का भरोसा हैं अजीत डोभाल


उत्तर पूर्व में 80 के दशक में डोभाल ने ब़ड़ा काम किया था। मिजो नेशनल आर्मी के आतंक को खत्म करने के लिए उन्होंने बिना खून बहाए मिजो नेशनल आर्मी में ही सेंध लगा दी थी। तब इंदिरा गांधी इतनी खुश हुई थी उन्होंने सिर्फ 6 साल के करियर वाले आईपीएस डोभाल को इंडियन पुलिस मेडल से सम्मानित किया था। जबकि पुलिस मेडल के लिए 17 साल की नौकरी जरूरी मानी जाती है। डोभाल ऐसे पुलिस अफसर रहे हैं जिन्हें 1988 में कीर्ति चक्र सम्मान मिल चुका है जबकि कीर्ति चक्र सेना का सम्मान है। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 1999 में कंधार विमान अपहरण कांड हुआ था। तब डोभाल मल्टी एजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ हुआ करते थे। डोभाल उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने आतंकियों के साथ बात करके आईसी 814 के 176 यात्रियों को सुरक्षित बचाया था। पीएम मोदी के साथ काम करते हुए दो साल में अजीत डोभाल ने ऑपरेशन म्यांमार और ऑपरेशन पीओके में 100 फीसदी कामयाबी हासिल की। आतंक के सौदागरों का खून बहाया लेकिन अपने एक जवान पर खरोंच तक नहीं आने दी। 


अजीत डोभाल के सामने जेम्स बॉन्ड के किस्से भी लगते हैं फीके


डाभोल कई ऐसे खतरनाक कारनामों को अंजाम दे चुके हैं जिन्हें सुनकर जेम्स बॉन्ड के किस्से भी फीके लगते हैं। भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका। इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी।  जब 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में, इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था। 


आंतकवादियों को दी हर जगह मात


अजीत डोभाल भारत के ऐसे रत्न हैं जिन्होंने आंतकवादियों को हर जगह मात दी है। कश्मीर में भी उन्होंने उल्लेखनीय काम किया था और उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी। उन्होंने उग्रवादियों को ही शांतिरक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। डोभाल के बारे में ये भी कहा जाता है कि 90 के दशक में उन्होंने कश्मीर के ख़तरनाक अलगाववादी कूका पारे का ब्रेनवाश कर उसे काउंटर इंसर्जेंट बनने के लिए मनाया था। उन्होंने एक प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था। अस्सी के दशक में वे उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे। उस समय लालडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी, लेकिन तब डोवाल ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपना पड़ा था। 1999 के कंधार विमान अपहरण को दौरान तालिबान से बातचीत करने वाले भारतीय दल में अजीत डोभाल भी शामिल थे।


अजीत डोभाल की उपलब्धियां 


अजीत डोभाल भारत के इकलौते ऐसे नौकरशाह हैं जिन्हें कीर्ति चक्र और शांतिकाल में मिलने वाले गैलेंट्री अवॉर्ड से नवाजा गया है। डोभाल कई सिक्युरिटी कैंपेन का हिस्सा रहे हैं। इसी के चलते उन्होंने जासूसी की दुनिया में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। अजीत डोभाल का जन्म 1945 को पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। उनकी पढ़ाई अजमेर मिलिट्री स्कूल में हुई है। केरल के 1968 बैच के IPS अफसर डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद 1972 में ही इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) से जुड़ गए थे। 48 साल के करियर में अजीत डोभाल का स्ट्राइट रेट 100 फीसदी रहा है। इसीलिए तो पीएम बनने के बाद मोदी ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी अजीत डोभाल को दी। 1968 में इंडियन पुलिस सर्विस यानी आईपीएस में चुने गए डोभाल ने करीब 48 साल के करियर में ज्यादातर वक्त जासूस के तौर पर काम किया। अजीत डोभाल ने पूरी जिंदगी आतंकियों से निपटने में गुजार दी। आतंकवाद को उन्होंने करीब से देखा है।


अजीत डोभाल भारत के वो अनमोल रत्न हैं जिनकी जगह और कोई नहीं ले सकता। अजीत डोभाल ने हर मोर्चे पर भारत की अगुवाई की है और दुश्मनों को चारो खाने चित्त किया है। भारत के इस अनमोल रत्न को भारत रत्न से जरूर सम्मानित किया जाना चाहिए। Bada Business  अनमोल रत्न अजीत डोभाल की  तहे दिल से सराहना करता है।

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