सचिन तेंदुलकर जीवनी और कुछ रोचक तथ्य - Biography of Sachin Tendulkar in Hindi
सचिन ने शारदाश्रम विद्यामन्दिर में अपनी शिक्षा ग्रहण की। वहीं पर उन्होंने प्रशिक्षक (कोच) रमाकान्त अचरेकर के सान्निध्य में अपने क्रिकेट जीवन का आगाज किया। तेज गेंदबाज बनने के लिये उन्होंने एम.आर.एफ. पेस फाउण्डेशन के अभ्यास कार्यक्रम में शिरकत की पर वहाँ तेज गेंदबाजी के कोच डेनिस लिली ने उन्हें पूर्ण रूप से अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा।
सामान्य परिवार में बढे हुये सचिन ने अपनी शिक्षा मुंबई के शारदाश्रम विश्वविद्यालय में की। उनके भाई अजित तेंदुलकर इन्होंने बचपन में ही सचिन के अंदर के Cricketer को पहचानकर उन्हें सही से मार्गदर्शन किया। Cricket में के ‘द्रोणाचार्य’ रमाकांत आचरेकर इन्होंने सचिन को सक्षम शिक्षा दी। हँरिस शिल्ड मुकाबले में विनोद कांबली के साथ निजी 326 रन करते हुये 664 रनों की विक्रमी भागीदारी करने का पराक्रम किया और 15 साल की उम्र में वो मुंबई टीम में शामिल हुये।
इनके पिता ने इनका दाखिला क्रिकेट के ‘द्रोणाचार्य’ कहे जाने वाले रमाकांत आचरेकर के यहाँ करा दिया जिन्होंने सचिन के क्रिकेट प्रतिभा को अच्छी तरह से निखारा.वही सचिन तेज गेदबाजी सीखने के लिए M.R.F. Foundation के ट्रेनिंग कैंप में गये जहाँ उन्हें तेज गेदबाजी के कोच डेनिस लिली ने अपनी बल्लेबाजी पर पूरा ध्यान देने के लिए कहा और तब से सचिन बल्लेबाजी करने लगे.
सचिन के कोच रमेश आचरेकर का सचिन को अभ्यास कराने का तरीका बिल्कुल अनोखा था. वह क्रीज पर विकेट के नीचे 1 रूपये का सिक्का रखते थे. अगर किसी गेदबाज ने सचिन को आउट कर दिया तो यह सिक्का उस गेदबाज का हो जाता था और अगर सचिन आउट नहीं हुए तो यह सिक्का सचिन का हो जाता था. सचिन ने अपने गुरु से ऐसे ही 13 सिक्के जीते जो अभी भी सचिन के पास है. इस तरह से सचिन के गुरु ने सचिन को बल्लेबाजी में निपुण बनाया.
सचिन ने सन 1990 में इंग्लैंड दौरे में अपने टेस्ट क्रिकेट का पहला शतक लगाया जिसमे उन्होंने नाबाद 119 रन बनाये इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के टेस्ट मुकाबलों में भी सचिन का प्रदर्शन यही रहा और उन्होंने कई टेस्ट शतक जड़े. सचिन ने 1992-93 में अपना पहला घरेलु टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ भारत में खेला जो उनका टेस्ट कैरियर का 22वा टेस्ट मैच था. सचिन की प्रतिभा और क्रिकेट तकनीक को देखते हुए सभी ने उन्हें डॉन ब्रेडमैन की उपाधि दी जिसे बाद में डॉन ब्रेडमैन ने भी खुद इस बात को स्वीकार किया .
सचिन के कोच अचरेकर सचिन को सुबह स्कूल जाने से पहले व शाम को स्कूल से आने के बाद क्रिकेट की ट्रेनिंग दिया करते थे| सचिन बहुत मेहनती थे, वे लगातार प्रैक्टिस किया करते थे, जब वे थक जाया करते थे, तब कोच स्टंप में 1 रुपय का कॉइन रख दिया करते थे, जिससे सचिन आगे खेलते रहे| सचिन खेलते रहते थे और पैसे जोड़ा करते थे| 1988 में सचिन ने स्टेट लेवल के मैच में मुंबई की तरफ से खेलकर अपने करियर की पहली सेंचुरी मारी थी| पहले ही मैच के बाद उनका चयन नेशनल टीम के लिए हो गया था और 11 महीनों बाद सचिन ने पहली बार इंटरनेशनल मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला, जो उस समय की सबसे दमदार टीम मानी जाती थी|
इसी सीरीज में सचिन ने पहली बार वन डे मैच खेला| 1990 में सचिन ने इंग्लैंड के हिलाफ़ पहला टेस्ट सीरीज खेली, जिसमें उन्होंने 119 रनों की पारी खेली और दुसरे नंबर के सबसे छोटे प्लेयर बन गए जिन्होंने सेंचुरी मारी| 1996 के वर्ल्ड कप के समय सचिन को टीम का कप्तान बना दिया गया| 1998 में सचिन ने कप्तानी छोड़ दी, व 1999 में उन्हें फिर कप्तान बना दिया गया| कप्तानी के दौरान सचिन ने 25 में से सिर्फ 4 टेस्ट मैच जीते थे, जिसके बाद से सचिन ने कभी भी कप्तानी ना करने का फैसला कर लिया|
सचिन देखने में सीधा-सादा इंसान है । वह अति प्रसिद्ध हो जाने पर भी नम्र स्वभाव का है । वह अपने अच्छे व्यवहार का श्रेय अपने पिता को देता है । उसका कहना है- ”मैं जो कुछ भी हूं अपने पिता के कारण हूँ । उन्होंने मुझ में सादगी और ईमानदारी के गुण भर दिए हैं । वह मराठी साहित्य के शिक्षक थे और हमेशा समझाते थे कि जिन्दगी को बहुत गम्भीरता से जीना चाहिए । जब उन्हें अहसास हुआ कि शिक्षा नहीं, क्रिकेट मेरे जीवन का हिस्सा बनने वाली है, उन्होंने उस बात का बुरा नहीं माना । उन्होंने मुझसे कहा कि ईमानदारी से खेलो और अपना स्तर अच्छे से अच्छा बनाए रखो । मेहनत से कभी मत घबराओ ।”
23 दिसम्बर 2012 को सचिन ने वन-डे क्रिकेट से संन्यास लिया और वहीँ 16 नवम्बर 2013 को मुम्बई के अपने अन्तिम टेस्ट मैच में उन्होंने 74 रनों की पारी खेलकर टेस्ट क्रिकेट से सन्यास लिया. तेंदुलकर ने अपने कैरियर में 200 टेस्ट मैचों में 53.79 के बल्लेबाजी औसत के साथ 15921 रन बनाये जिसमे उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 246* रन था और वही उनके नाम 51 शतक और 68 अर्धशतक दर्ज है। गेदबाजी में उन्होंने 46 विकेट लिए. वही वनडे मैचों में सचिन ने 463 मैचों में 44.83 के बल्लेबाजी औसत के साथ 18426 रन बनाये जिसमे उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 200* रन था वही उनके नाम 49 शतक और 96 अर्धशतक दर्ज है.।उन्होंने वनडे मैचों में अपनी गेदबाजी से टीम के लिए 154 विकेट भी लिये।
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