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रावण का मंदिर, जहां पूजनीय हैं रामायण के सभी पात्र : The temple of Ravana, where all the characters of Ramayana are revered

रावण का मंदिर, जहां पूजनीय हैं रामायण के सभी पात्र : The temple of Ravana, where all the characters of Ramayana are revered

  देश-दुनिया में दशहरे में रावण बुराई का प्रतीक है। दशहरे के दिन रावण का वध कर उसके पुतले का दहन किया जाता है। मगर, शहर में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां रावण सहित रामायण के सभी पात्रों की मूर्ति स्थापित की गई है। यहां रावण पूजनीय है।

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हालांकि, मंदिर में दर्शन के लिए 108 बार लाल पेन से श्रीराम लिखना होता है और इस नियम से किसी को भी छूट नहीं है। यह अनोखा 'राम का निराला धाम' नाम का मंदिर बंगाली चौराहे से बायपास की ओर जाते समय बायीं ओर बसे वैभव नगर में स्थित है। इस मंदिर की स्थापना तीन जुलाई 1990 में की गई थी और 27 वर्षों बाद अब भी काम चल रहा है।

राक्षसों की भी मूर्तियां हैं

इस मंदिर में रावण, कुंभकरण, मेघनाथ, कैकेयी, मंथरा, शूर्पणखा, मंदोदरी, विभीषण के साथ ही भगवान राम और हनुमानजी की भी पूजा होती है। यहां विभिन्न भगवान के साथ-साथ रामायणकालीन राक्षसों की मूर्तियां स्थापित की गई हैं।

मंदिर के संस्थापक और पुजारी प्रकाश वागरेचा का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि रामायण से जुड़ा हर पात्र पूजनीय है। महापंडित और ज्ञानी होने के कारण रावण हमेशा पूजनीय रहेगा।

कुतुब मीनार से भी ऊंचाई पर हनुमान जी

11 हजार स्क्वायर फिट में बने बने इस मंदिर में कुतुब मीनार से भी ऊंचाई पर हनुमान जी को बिठाया गया है। 200 फीट ऊंची मीनार पर 51 फीट ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा लगाई गई है। इस मंदिर की एक और विशेषता है कि इसका कोई आर्किटेक्ट नहीं है।

मंदिर का निर्माण हनुमान जी की प्रेरणा से पुजारी प्रकाश वागरेचा ही करते हैं। मंदिर की मूर्तियों को बनाने/ तराशने के लिए जो कारीगर लगे हैं, उन्होंने भी कहीं से कोई खास प्रशिक्षण नहीं लिया है। मगर, मूर्तियों की सुंदरता और भव्यता किसी का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।

न कोई चढ़ावा, न प्रसाद

इस मंदिर में किसी तरह का चढ़ावा या प्रसाद लाने की व्यवस्था नहीं रखी गई है। मंदिर के आस-पास कोई प्रसाद या फूल की दुकान भी नहीं है। हालांकि, जो भक्त घर से प्रसाद लाना चाहे ला सकते हैं। मंदिर में एक भी दानपेटी नहीं है।

पंडित प्रकाश वागरेचा का कहना है कि जो भी भक्त यहां आए सिर्फ भक्ति के लिए ही आए। दिखावे और आडम्बर के लिए कोई जगह यहां नहीं है। उनके मुताबिक, यहां आकर 108 बार राम नाम लिखने से ही उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है।

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