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Damini Sen - सफलता सिर्फ और सिर्फ हमारे हौसले और मेहनत की मोहताज़ है

Damini Sen - सफलता सिर्फ और सिर्फ हमारे हौसले और मेहनत की मोहताज़ है

Damini Sen - सफलता सिर्फ और सिर्फ हमारे हौसले और मेहनत की मोहताज़ है


कहते हैं कि लोग अपनी तकदीर अपने हाथों से लिखते हैं और अपने हाथों की लकीरों पर विश्वास भी करते हैं उनका विश्वास होता है कि उनकी किस्मत एक न एक दिन जरूर बदल जाएगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिन लोगों के हाथ नहीं होते है उनकी किस्मत कौन लिखता है, क्योंकि उनके ना तो हाथ होते है औऱ ना ही हाथों की लकीर। आज हम आपको  एक ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहे है जिसके दोनों हाथ नहीं है, फिर भी वह अपनी किस्मत को इतने सुंदर तरीके से लिखती है कि देखने वाले भी सोच में पड़ जाते है। रायपुर की दामिनी सेन अपनी किस्मत की तस्वीरें अपने पैरों से उकेर रही है और इतनी सुंदरता से उकेर  रही है कि दो हाथों वाले इंसान भी देखकर चकित हो जाते है।

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   Damini Sen


पैरों से करती है पढाई

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के विरगांव की रहने वाली दामिनी  सेन (Damini Sen) का  जन्म से ही हाथ नही है। लेकिन दामिनी ने इसे कभी भी अपनी कमज़ोरी नहीं बनने दिया, बल्कि दामिनी ने हाथों की कमी अपने पैरों से ही पूरी कर ली। दामिनी जब तीन साल की थी, तब उनकी मां ने उन्हें पैर से लिखना सिखाया। दामिनी की मां अपने बच्ची को काबिल और दूसरों की तरह बनाने के लिए अपने पैरों की उंगलियों के बीच चॉक, पेंसिल या पेन फंसा कर उन्हें लिखना सिखाती थी। दामिनी  बचपन से ही अभ्यास करने लगी, हालांकि पैर से लिखना उनके लिए इतना आसान नहीं था। उन्हें काफी तकलीफें भी होती थी, लेकिन लगाता मेहनत के सामने यह आसान होता चला गया। 

परिवार बना सहारा

दामिनी एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं , उनके पिता एक स्कूल में कार्यरत हैं और उनकी मां गृहिणी हैं।  बचपन में दामिनी को शिक्षा दिलाने के लिए उनके माता - पिता को काफी जगह भटकना पड़ा था,ज्यादातर स्कूल के शिक्षक कहते दामिनी नहीं पढ़ सकती। क्योंकि इसके तो हाथ ही नहीं हैं। काफी प्रयास करने के बाद मोहल्ले के ही दीपेश विद्या मंदिर स्कूल में दामिनी ने कक्षा आठवीं तक पढ़ाई की। इसके बाद गुरुकुल स्कूल रावांभाठा से 12 वी परीक्षा 73 प्रतिशत अंको के साथ पास की। दामिनी की बचपन से पढ़ाई में रुचि थी, इसलिए हाथ नहीं होने के बावजूद भी पैरों से लिखने की कोशिश करती रही। स्कूल में शिक्षक द्वारा पढ़ाए गए विषयों को हर दिन घर आकर दोबारा पढ़ती साथ ही अगले दिन पढ़ाए जाने वाले पाठ को समझने की कोशिश करती।

पैरों से बनाई पेंटिंग

दामिनी ने इतने अच्छे अंक लाकर यह साबित कर दिया की जो काम सामान्य व्यक्ति अपने हाथों से करते हैं,उसी काम को दामिनी अपने पैरों के सहारे करती हैं । बचपन से ही दिव्यांग दामिनी के माता - पिता ने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा, उन्होंने अपनी बच्ची को  न सिर्फ पैरों से लिखना सिखाया बल्कि पेंटिंग, रंगोली, मेहंदी, कुकिंग जैसे ढेरों काम में दामिनी को उस्ताद बनाया। ताकि उन्हें कभी भी ऐसा महसूस न हो वो दूसरे बच्चों से अलग हैं । वैसे तो दामिनी का सपना सिविल सर्विस में जाकर जनता की सेवा करने का है,लेकिन  दामिनी को अपनी कमी को पीछे छोड़ते हुए जिंदगी की जंग भी जीतनी थी... इसलिए दामिनी ने अपने पैरों से पेटिंग्स बनानी शुरू की और देखते ही देखते दामिनी ने दो वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए, दामिनी ने अपने पैरों से 1 घंटे में 38 पेंटिंग बनाई थी।

बनाये दो विश्व रिकॉर्ड

विश्व रिकार्ड बनाने के दौरान दामिनी ने एक पेंटिंग को बनाने में करीब दो मिनट से भी कम का समय लिया। उसके सामने एक घंटे में 30 पेंटिंग बनाने का लक्ष्य दिया गया था। जिसके बाद दामिनी ने पैरों की उंगलियों से 38 पेंटिंग बनाकर सभी को हैरान कर दिया था। दामिनी को बचपन से ही पढ़ाई के साथ ही पेंटिंग करने का बहुत शौक था, इसलिए उनके परिवार ने दिन रात एक कर दामिनी को पेंटिंग की छोटी छोटी बारिकियाँ सिखाकर उसे इस मुक़ाम तक पंहुचा  दिया। दामिनी के  हौसले ने कइयों को प्रेरित किया साथ ही दामिनी ने अपने कुछ साथियों के  साथ मिलकर एक मोटिवेशन ग्रुप बनाया और हज़ारों बच्चों को प्रेरणा दी। दामिनी की काबिलियत को देखते हुए प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने पुरस्कार से नवाजा, और कहा -  पैरों की राइटिंग तो मेरे हाथ की राइटिंग से कही बेहतर है।

दामिनी ने हाथ नहीं होने के बावजूद भी एक बेटी होने का कर्तव्य बखूबी निभाया और ये सच कर दिखाया मेहनत के दम पर किस्मत को भी बदला जा सकता है।

Digi Shala News salutes Damini Ji!

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