Prem Ganapathy - जानें, कैसे टी बॉय की नौकरी करने वाले शख्स ने खड़ी कर दी डोसा प्लाजा की चेन
Prem Ganapathy Success Story जानें, कैसे टी बॉय की नौकरी करने वाले शख्स ने खड़ी कर दी डोसा प्लाजा की चेन
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जिंदगी में अगर उड़ना है तो गिरना सीख लो क्योंकि जिंदगी की राह में ठोकरें कब खानी पड़ जाएं, इसका पता तक नहीं चलता। वो किस्मत वाले होते हैं जो बिना ठोकर खाए मंज़िल तक पहुंच जाते हैं, लेकिन जिंदगी के मुश्किल दौर में ही हमें अपनी काबिलियत का एहसास होता है। ऐसे ही एक शख्सियत है तमिलनाडु के प्रेम गणपति जिन्होंने जिंदगी में लगातार ठोकरे खाने के बाद और 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद खड़ी कर दी खुद की कंपनी।
प्रेम गणपति (Prem Ganapathy) का जन्म तमिलनाडु के नागलापुरम में एक गरीब परिवार में हुआ था। पैसों के अभाव के चलते उन्हें 10वीं के बाद अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। वो चाहते थे कि किसी तरह आर्थिक रूप से अपने परिवार की मदद कर सके। जिसके बाद उन्होंने चेन्नई की तरफ रूख किया और यहां आकर छोटी - मोटी नौकरी करने लगे। कुछ समय बाद यहां उनकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई, जिसने उन्हें मुंबई में काम करने का सपना दिखाया। जिसके बाद प्रेम गणपति चेन्नई से मुंबई चले आए, लेकिन उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि मुंबई में कदम रखते ही उनके साथ धोखा होने वाला है। उस व्यक्ति ने नौकरी का सांझा देकर उनके साथ लूटपाट की और बांद्रा स्टेशन पर अकेला छोड़ गया।
प्रेम के लिए मुंबई शहर बिल्कुल नया था, न तो वो किसी को जानते थे और न ही उनके पास घर जानें के लिए पैसे थे। उनके साथ सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि उन्हें न तो हिंदी आती थी, न ही मराठी। उस दिन वे स्वयं को बेहद लाचार महसूस कर रहे थे,लेकिन इन सब के बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। प्रेम गणपति ने मन ही मन ठान लिया कि किसी भी हाल मुंबई शहर से खाली हाथ नहीं लौटना, यहीं रहकर अपना भविष्य बनाना है। इसके बाद प्रेम गणपति नौकरी की तलाश में जुट गए। काफी ठोकरें खाने के बाद उन्हें एक डोसा रेस्टोरेंट में 150 रूपए प्रति माह पर टी बॉय की नौकरी मिली। उनके अच्छे व्यवहार के चलते उनकी नौकरी काफी अच्छी चलने लगी थी, लेकिन एक दिन एक ग्राहक ने प्रेम को ऑफर दिया पार्टनरशिप में टी-शॉप खोलने का। जिसके बाद प्रेम गणपति उस व्यक्ति की बात मान गए और दुकान पर काम करना शुरू कर दिया।
दुकान भी काफी अच्छी चलने लगी थी, लेकिन उस व्यक्ति के मन में बेईमानी जाग उठी और उन्हें बिज़नेस से बाहर निकाल दिया। इसके बाद उनके दिमाग में
चाय का ठेला लगाने का आइडिया आया, पर वो भी सफल नहीं हो पाया। जीवन में लगातार ठोकर खाने के बाद उन्होंने आख़िरकार साउथ इंडियन खाने का स्टॉल लगाया। हालांकि उन्हें डोसा और इडली बनाना नहीं आता था, लेकिन उन्होंने दूसरों को देखकर इसमें महारत हासिल कर ली। लेकिन उनका सपना था कि वो एक बड़े बिज़नेसमैन बने, इसलिए स्टॉल से कमाए हुए पैसों से उन्होंने वाशी स्टेशन के पास एक दुकान खोली और इसका नाम रखा डोसा प्लाजा।
प्रेम गणपति (Prem Ganapathy) ने डोसा की वेराइटी के साथ एक्सपेरिमेंट करने शुरू कर दिए, उनका डोसा बहुत ही लजीज़दारा होता है, जो एक बार खा ले, वो कभी नहीं भूल सकता। प्रेम ने अमेरिकन चॉपसी, शेजवान डोसा, पनीर चिली, स्प्रिंग रोल डोसा सहित करीब 108 तरह के डोसा अपने मेन्यू में शामिल कर दिए।
प्रेम गणपति को अपने बिज़नेस को और आगे तक लेकर जाना था, इसलिए वो कभी इनोवेशन करने में पीछे नहीं रहते थे। उनकी चाहत थी कि शॉप 'डोसा प्लाजा" की लोकप्रियता मॉल तक पहुंचे। संयोग से एक दिन एक मॉल की मैनेजमेंट टीम उनके यहां खाना खाने पहुंची,जिसके बाद उन्होंने प्रेम को अपना आउटलेट अपने मॉल में खोलने का ऑफर दिया। इसके बाद पूरी तैयारी के साथ प्रेम गणपति ने मॉल में स्टॉल खोली और वह हिट भी होनी शुरू हो गई। इसके बाद लोग उनके पास इसकी फ्रैंचाइजी लेने के लिए आने लगे। धीरे-धीरे डोसा प्लाजा एक ब्रांड में बदल गया। भारत के अलावा आज न्यूजीलैंड, यूएई और ओमान में भी इसके आउटलेट्स चल रहे हैं।