प्रियम गर्ग (Priyam Garg) बायोग्राफी इन हिंदी | मां की मौत के बाद पिता ने नहीं टूटने दिया बेटे का सपना, दूध बेचकर बनाया क्रिकेटर
मां की मौत के बाद पिता ने नहीं टूटने दिया बेटे का सपना, दूध बेचकर बनाया क्रिकेटर | Priyam Garg Biography In Hindi
वो कहावत है कि हर सफल इंसान के पीछे किसी ना किसी का हाथ जरूर होता है, ये बिलकुल सच है। क्योंकि जिंदगी में हर किसी को कभी न कभी मोटिवेशन की जरूरत होती है, जो उससे उसकी मंजिल तक पहुँचा सके। कुछ ऐसी ही कहानी Priyam garg biography in hindi है यूपी के बल्लेबाज़- प्रियम गर्ग की, जिन्होंने कड़ी मेहनत के बाद अपनी अलग पहचान बनाई।प्रियम गर्ग (Priyam Garg) का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ से 25 किलोमीटर दूर क़िला परिक्षितगढ़ में हुआ था,उन्होंने सिर्फ 11 साल की उम्र में अपनी मां को खो दिया। उस वक्त वो समझ ही नहीं पा रहे थे कि इस सदमे से कैसे बाहर निकले, लेकिन 2011 में प्रियम गर्ग अपनी मां को खोने के बाद पढ़ाई करने के साथ ही अपने सपने को पूरा करने में जुट गए। उनका बचपन से एक ही सपना था कि वो बड़े होकर क्रिकेटर बने, लेकिन उनके लिए यह आसान नहीं था। स्कूल के बाद वो क्रिकेट के मैदान पर 7-8 घंटे कि प्रैक्टिस किया करते थे, ताकि वो अपने सपने को पूरा कर सके। प्रियम गर्ग ने महज़ 8 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। वो दोस्तों के साथ गांव के स्कूली मैदान में ही क्रिकेट खेलते थे।
प्रियम के पिता के लिए उन दिनों घर का खर्च चलना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो रहा था,घर का खर्च चलाने के लिए वो कभी स्कूल वैन चलाते तो कभी साईकिल से घर-घर जाकर दूध बेचकर आजीविका चलाते । उनके पिता को इस बात का पता चल गया था कि प्रियम की दिलचस्पी क्रिकेट खेलने में है।
लेकिन उस वक्त क्रिकेट किट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे तो पिता ने अपने दोस्त से कुछ पैसे उधार लेकर बेटे के लिए किट ख़रीदा।
12 साल की उम्र में प्रियम रोज़ाना घर से करीब 20 किलोमीटर का रास्ता तय कर स्टेडियम जाते थे। प्रियम की मेहनत को देखते हुए उन्हें अंडर 14 टीम में
खेलने का मौका मिला जहां उन्होंने 2 दोहरे शतक लगाए। फिर अंडर 16 में भी प्रियम ने 2 दोहरे शतक लगाए। इसके बाद 2018 में उनका उत्तर प्रदेश की रणजी टीम में चयन हो गया। प्रियम मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर के जबर्दस्त फैन हैं, उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि जब हमारे घर में टीवी नहीं था, तो दुकान पर जाकर मैं सचिन की बल्लेबाजी देखता था। अंडर 19 कप्तान बनने के बाद प्रियम ने वर्ल्ड कप जीतना ही अपना लक्ष्य बनाया है।